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प्रतिबिंब***प्रेरक कथायें By प्रेरणा सिंह

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  मेरी पुस्तक * प्रतिबिंब*** प्रेरक कथायें एवं कहनियाँ * AMAZON पे उपलब्ध है। पढें पुस्तक समीक्षा---HindiKunj पर https://www.hindikunj.com/2020/10/pratibimb-prerak-kathayen.html?m=1 Book link---- https://www.amazon.in/dp/B08KSKBJBP/ref=cm_sw_r_wa_apa_dMvFFbG9EM8SD

मैं से माँ

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सोचे चलूँ फिर पिछ्ले सफर पे, अपने स्वप्न के तरफ कदम बढ़ाए, खींचे साड़ी के कोण शिशु, आँचल में उसे छुपा स्वप्न फलित उसे हीं माने, मैं से माँ तक का सफ़र ये खोने-पाने के ना इसमें  मायने। मानस पटल पे कामों का घेरा, केंद्र बिंदू में  ममता का चेहरा। चाहे कभी जो स्वयं का सोंचूँ मैं, गोल घूम फिर वहीं पहुँच जाए। मैं से माँ तक का सफ़र धरती सा गोल बन जाए। इतनी उलझन जीवन नैयाँ में, सुलझाने को ईश्वर से गुहार लगाए। बच्चे पर जो परेशानी की आँच आए, ईश्वर का स्वरूप बन वो हर उलझन को सुलझाए। मैं से माँ के सफ़र में अद्वितीय रूप वो पाए।

सावन की याद(लघुकथा)

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बाहर टिप-टिप पानी बरस रहा था पर बिनोद की आंँखे अश्रुधारा से विमुख चिंता की अग्नि में सूख रहीं थीं। तभी छोटे भाई ने आवाज़ लगाई-"भैया! चलो अमियाँ की बगिया तक घूम आए।" आज बाबूजी की बरसी के बाद उनके कहे अनुसार खेतों का बंटवारा हो गया था। छोटा भाई शहर रहता था शायद ज़मीन बेच लौट जाए! उसका क्या होगा? अभी तक सारी ज़मीन पर वही फ़सल उपजा अपने परिवार का पेट भरता था। वही उसकी जीविकाआपूर्ति का साधन था।     छोटे भाई की आवाज़ से उसकी सोच टूटी-"भाई जी! याद है बचपन में बगीचे से जो हम आम तोड़ते हर बार आपसे ज़्यादा छीन कर मैं भाग जाता था।" बाबू जी हमेशा आपको समझा दिया करते कि बड़े को त्याग करना पड़ता है, जाने दो और मैं हँस कर भाग जाया करता था।     शहर की ज़िंदगी में मैंने समझा त्याग क्या होता है! वहाँ हर व्यक्ति आगे बढ़ने की लालसा में अपने से छोटे को पीछे धकेल देता। आगे बढ़ने की होड़ में अपना पराया समझ पाना मुश्किल हो गया था मेरे लिए क्योंकि मैं तो प्यार- त्याग की छाँव में पनपा था।     तब मुझे आपका हर त्याग याद आता। मुझे आगे बढ़ाने के लिए ख़ुद आप दिन रात खेत में त...

गुरु पूर्णिमा (लघु कथा)

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एक उद्योगपति अपने दोस्त के बहुत कहने पे एक बार उस दोस्त के बताए आश्रम में गया। उसका दोस्त जिस गुरु को मानता था उनसे उसे मिलाना चाहता था।           दोनों साथ गए। वहां काफी भीड़ थी पर सब साथ शांति से नीचे बैठे हुए गुरु की बातें सुन रहे थे, अपने प्रश्न रख रहे थे। उद्योगपति को सबकी बातें बनावटी लग रही थी।          उसने खड़े होकर गुरु से पूछा ' हमें गुरु की आवश्यकता ही क्यों है। मैं आज जिस सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचा हूं अपनी लगन अपनी मेहनत से पहुंचा हूं। मैं अपनी ज़िन्दगी में ख़ुश हूं। सबकुछ है मेरे पास। मुझे गुरु कि क्या आवश्यकता? ' गुरु मुस्कुराए - ' तुम बिल्कुल सही हो। तुम्हें गुरु की बिल्कुल भी जरूरत नहीं। फिर उससे पूछे - अच्छा एक बात बताओ - ' तुम्हें भूख लगती है तो कौन बताता है कि तुम्हें भूख लगी है?            उद्योगपति हसने लगा - ' भूख लगेगी जब पेट ख़ाली होगा, शरीर बताएगा।' गुरु - ' बस वैसे हीं जब मन बाहरी आडंबरों से ख़ाली हो जाएगा और उसे भूख लगेगी, तब उसे जरूरत महसूस होगी आत्म ज्ञान की, शा...

परीक्षा

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जीवन के मझधार में, नदी के उफान में, साथी साथ निभाओगे ना तुम? आराम से बैठे चाय सरकाते, ए.सी का बटन दबाते बोली, ये भी कोई कहने की बात है प्राणप्रिये!! दुविधा में हूं प्राणेश्वरी, कैसे कहूं चलो पुराने छोटे घर में, वक़्त ने हमारे निवेशों को भी हिला दिया!! रंग सफ़ेद सिकन में काले बादल से घेर, कुछ भी करो जैसे करो, ये मुझसे हो ना पाएगा!! अख़बारों के पन्ने आगे करके खिन्नता से मुस्कुराके, तुमने साथ का अर्थ समझाया था!! रिश्ते अक़्सर इसलिए टूटते इन महलों में, संताप में भूख से मन ना बदलते इनके, तन भले रूप बदल एक दूजे के लिए होम हो जाएगा!!
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हाय रे! ये प्यारा बचपन चंचल चपल नटखट आंखों में, निश्चल निर्मल प्यारा बचपन। कभी शरारत कर भागे, कभी आंसू में गलतियों को छिपा ले, शिकवों शिकायतों से परे ये बचपन। शब्दों को बुनते बुनते इशारों में अनकही कहते, जिजीविषा जीवंत बनाता बचपन। अंतर्मन में तेरे हर पल को चाहूं बांधना तेरा बचपन, पल प्रतिपल निकलता हाय ये तेरा बचपन।

आज का जीवन(कॉरोना के समय में)

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असीमित बनाए जालो को, एक एक करके तोड़ दिया। सीमित संतुलित जीवन बना,  अपनों में भी, अपनों को ढूंढ बस उनसे जोड़ दिया। कहानियों की कथनी सा ये,  आड़ी तिरछी रास्तों पे जाते लोगों को, एक राह का सबको राहगीर बना, देखो कैसे छोड़ दिया। जीव का मोल ना समझा, अब अपना जीवन बचाने को, देखो कैसे अपने घेरो में, सही जीवन में ख़ुद को मोड़ दिया।

LifePartner

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Marriage is like buying coal, Anyone can afford it. If your relationship survived in real life situation, Together shine like diamond. Which not everyone can make it. If your adrenaline is high,  one who supplement to make it low is your best guy. With whom your serotonin works more, And not let cortisol to pore. Who give your Somatotropin a kick, Act like Dopamine when you are sick. If you find all this in your soulmate, Obligate God for his best pick. Note-: Adrenaline hormone (increase heart rate,B.P) : Serotonin (happy/feel good hormone) :Cortisol(stress hormone) : Somatotropin (growth hormone) : Dopamine (neurotransmitters)