प्रतिबिंब***प्रेरक कथायें By प्रेरणा सिंह

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आज का जीवन(कॉरोना के समय में)

असीमित बनाए जालो को,
एक एक करके तोड़ दिया।
सीमित संतुलित जीवन बना,  अपनों में भी,
अपनों को ढूंढ बस उनसे जोड़ दिया।

कहानियों की कथनी सा ये,
 आड़ी तिरछी रास्तों पे जाते लोगों को,
एक राह का सबको राहगीर बना,
देखो कैसे छोड़ दिया।

जीव का मोल ना समझा,
अब अपना जीवन बचाने को,
देखो कैसे अपने घेरो में,
सही जीवन में ख़ुद को मोड़ दिया।

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