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प्रतिबिंब***प्रेरक कथायें By प्रेरणा सिंह

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  मेरी पुस्तक * प्रतिबिंब*** प्रेरक कथायें एवं कहनियाँ * AMAZON पे उपलब्ध है। पढें पुस्तक समीक्षा---HindiKunj पर https://www.hindikunj.com/2020/10/pratibimb-prerak-kathayen.html?m=1 Book link---- https://www.amazon.in/dp/B08KSKBJBP/ref=cm_sw_r_wa_apa_dMvFFbG9EM8SD
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हाय रे! ये प्यारा बचपन चंचल चपल नटखट आंखों में, निश्चल निर्मल प्यारा बचपन। कभी शरारत कर भागे, कभी आंसू में गलतियों को छिपा ले, शिकवों शिकायतों से परे ये बचपन। शब्दों को बुनते बुनते इशारों में अनकही कहते, जिजीविषा जीवंत बनाता बचपन। अंतर्मन में तेरे हर पल को चाहूं बांधना तेरा बचपन, पल प्रतिपल निकलता हाय ये तेरा बचपन।

आज का जीवन(कॉरोना के समय में)

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असीमित बनाए जालो को, एक एक करके तोड़ दिया। सीमित संतुलित जीवन बना,  अपनों में भी, अपनों को ढूंढ बस उनसे जोड़ दिया। कहानियों की कथनी सा ये,  आड़ी तिरछी रास्तों पे जाते लोगों को, एक राह का सबको राहगीर बना, देखो कैसे छोड़ दिया। जीव का मोल ना समझा, अब अपना जीवन बचाने को, देखो कैसे अपने घेरो में, सही जीवन में ख़ुद को मोड़ दिया।