प्रतिबिंब***प्रेरक कथायें By प्रेरणा सिंह

चित्र
  मेरी पुस्तक * प्रतिबिंब*** प्रेरक कथायें एवं कहनियाँ * AMAZON पे उपलब्ध है। पढें पुस्तक समीक्षा---HindiKunj पर https://www.hindikunj.com/2020/10/pratibimb-prerak-kathayen.html?m=1 Book link---- https://www.amazon.in/dp/B08KSKBJBP/ref=cm_sw_r_wa_apa_dMvFFbG9EM8SD

समझ के नासमझी


बड़े आराम से कट रही थी जिंदगी,
बिना सोचे कोई बुराई,
थाम कर हर रोज चले जा रहे थे..
किये जा रहे थे आराम की बंदगी।। 

नजर फटी की फटी रह गई,
जब वजह तुम बताए गए,
बेरंग से मौसम के,
और कीमत चुकाने में सासों में घुटन पाई गई।।


जान के भी तुम्हें ना छोड़ पाऊँ,
तो अपनी बरबादी का दोषी किसे बताऊँ!
रोक दूँगी तुम्हें मैं..
कमसेकम आगे तो जिंदगियां बेहतर बना जाऊं। ।
#
प्लास्टिक का आज का आराम,
कल सबके जीवन पर लगाएगा विराम। *

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उठो चलो....

मैं से माँ

थोड़ी सी खुशी