प्रतिबिंब***प्रेरक कथायें By प्रेरणा सिंह

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अनमोल उपहार


मेरे जीवन के अनमोल उपहार,                         
 तेरे आने से हर दिन लगे त्योहार। 
आँचल में तुझे छुपाए, 
दिन बिताए तेरे हर पल मे, 
सोचूं एक चोट भी तुझे रुला ना पाए।। 
मम्मी मम्मी कह कर मेरे पीछे आए, 
नई शरारतों की कहनी हर रोज, 
फिर भी सबका प्यारा बन जाए।।
सोचा करतीं थी जो मैं, 
काश एक बेटी हो जाए, 
आज बड़े होते थामा यूँ तुमने, 
सब एक बराबर पाए।। 
भीड़ में तुम मुझें बचाते, 
हर बात में तुम्हे साथ हम पाते, 
फिर भी लगता जाने कियूँ, 
फिर से तुम्हारा बचपन जी पाते।।

टिप्पणियाँ

  1. ATI SUNDAR "RACHANA".APKI RACHANA KI JITNI V TARIF KI JAY KAM HI....

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  3. Maa ki ruhaani baate ... Pyar hi pyar jhalak rahi shabdo me...bahut achha likh rahi ho prerna, kalam rukne mat dena...

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  4. कितने प्यारे सब्द तुम्हारे ये सिर्फ एक मा ही लिख सकती है।बहुत ही खूबसूरत।

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